मन को वृंदावन बना लो
स्वैच्छिक कविता
वास्ते प्रतियोगिता
मन को वृन्दावन बना लो :
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मन में गिरधर मूर्ति बसा लो,
मन-द्वारे तुलसी वृक्ष लगा लो
ज़बां पे हरदम कृष्ण नाम हो,
हिय मे ऐंसी प्रीत जगा लो,
मन को वृन्दावन बना लो।
दिल से माना मीराबाई ने,
विष भी न दे पाया कोई विष,
गजराज को जल से उबारा
द्रुपद- सुता की लाज बचाई,
ऐसे ही अपने हिय को संवारो,
मन को वृन्दावन बना लो।
अर्जुन को धर्मयुद्ध जिताया,
बने सारधी ,चक्र उठाया,
गीता का उपदेश सुनाया,
असुर कंस को मार गिराया,
अपने हिय के असुर को मारो,
मन को वृन्दावन बना लो।
बचपन में अनुपम खेल दिखाएं,
नल-कूबर को मुक्त कराए,
यमुना जल को विश-मुक्त कर,
ब्रज वासिन की जान बचाए
राधा-कृष्ण को दिल मे बसा लो,
इस धरती पर स्वर्ग उतारो
मन को वृन्दावन बना लो।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Abhinav ji
08-Dec-2022 07:42 AM
Very nice👍👍
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Jannat
08-Dec-2022 07:06 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Gunjan Kamal
07-Dec-2022 07:58 PM
बहुत खूब
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